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Wednesday, February 27, 2019

भावनाओं को समझो

 भारत एक भावनाओं में बह जाने वाला देश है यहाँ की जनता दिल से सोचती है।
 और उसके दिल  में एक उतावलापन है यहाँ की जनता और यहाँ के राजनेता दोनों का मन एक जैसा है दोनों को जल्दी है।
 बहुत जल्दी यहाँ  लोग अपनी बना लेते है और बदल देते है । कभी सरकार को गालिया देने लगते है कभी सरकार  बधाइयाँ देने लगते है । हाल ही में जो भारत सरकार  ने पाकिस्तान को जो जवाब दिया वो बोहत जल्दी में किया हुआ काम है
वो एक जवाब ही था अब एक बार वो जवाब देंगे फिर हम ।दोनों मुल्क ही इसके स्थाई समाधान को नजरअंदाज कर रहे है। जनता को बेवकूफ समझने की गलती कर रहे है ये।
 जनता को जवाब नहीं इस समस्या का हल चाहिए अफ़सोस तो इस का है की जनता को भी गुमराह किया जा रहा है । जनता का जो हित है उससे  उसका ध्यान भटकाया जा रहा है।
जनता जो सोशल मीडिया पे  संचार में भाग ले रही है वो अच्छा है। मगर हर बात पे सरकार को गालिया देना हर बात पे बधाईयाँ देना ठीक नहीं है हमें सरकार को  काम करने देना चाहिए और हमें खुद भी काम करना चाहिए।
बोहत ज्यादा संचार भी कई बार ज्यादा घी की तरह खाना ख़राब कर देता है तो हर इंसान को अपनी हद समझनी चाहिए।
 भारत हमेशा एक परिपक़्व सोच वाला देश रहा है पर अब सरकार की सोच में वो परिपक़्वता और दूरदर्शिता नजर नहीं आती। जब किसी बीमारी को जड़ से ख़तम करना है तो शोर्टकट से काम नहीं चलता । हमें इस समस्या से हमेशा के लिए निजात चाहिए अभी इन्होने जवाब दे दिया हे हो गया इनका काम पूरा।
पाकिस्तान धूर्त भी है और चालक भी है वो इस माहौल का पूरा फायदा उठाएगा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वो सहानुभति प्राप्त करने की कोशिश करेगा वो कहेगा की हम तो बातचीत से मुद्दा सुलझाना चाहते है पर भारत जंग चाहता है।
  हालाँकि पाकिस्तान ने हमेशा शांति के नाम पे धोखा दिया है मगर फिर भी में  ये समझता हु की शांति चैन और अमन की बात को किसी भी कीमत पे एक मौका दिया जाना चाहिए।
जब सामने वाला शांति की बात कर रहा है तो हमें ये मौका गंवाना नहीं चाहिए। जंग की शुरुआत तो आसान है मगर कहा ख़तम होगी कैसे होगी कब होगी इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है। आखिर में बातचीत ही हर मुद्दे का हल है। जो इंसान गुड़ खा के मर जाये उसे जहर देने की जरूरत ही नहीं है ।

Friday, February 22, 2019

जंगलराज

ये बड़े ही आश्चर्य की बात है की इतने सालों की आजादी के बाद भी हम आतंकवाद से आजाद नहीं हो पाए है।
सरकारे आती  है जाती है पर आतंकवाद के मुद्दे का कोई हल कर पाने में हर सरकार  अभी तक नाकाम रही है।
माना  की आतंकवाद का मुद्दा हर देश  के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
पर देश की आवाम से देश की जनता से झूठ बोलना कहा तक सही है, सरकार  के नुमाइंदे बोलते  है देश के दुश्मनो को बक्शा नहीं जायेगा, बोहत सुन लिया भैया वो दिन कब आएगा ये बतलाइये।
ये  फालतू के भाषण  मत झाड़िये कान पक्क  गए है  लोगो को कुछ कर के दिखाए।
अगर आप में कुछ करने की ताकत नहीं है तो सिर्फ वोट की राजनीती के चक्कर में लोगो को गुमराह करना ठीक नहीं है।
क्यों नहीं ये लोग (वर्तमान सरकार )  कश्मीर के मुद्दे पे बात करते । कब तक ये लोग इसी तरह लोगो की बलि देते रहेंगे।
कश्मीर के हालात किसी से छुपे नहीं है , वहा पे भारतीय आर्मी लोगो के साथ जो सुलूक कर रही वो भी किसी से छुपा नहीं है।
यही  कारण है की कश्मीरी युवको में रोष बढ़ रहा है
उन  लोगो को इतना डराया गया है की उनका मौत का डर  ही निकल गया है।
और हाल ही में जो आतंकवादी हमला हुआ  उससे तो हालत और ख़राब हो गए है।
देशभर में कश्मीरी लोगों पे हमले हो रहे है , देश के अलग अलग हिस्सों से कश्मीरी युवकों को निकाला ला जा रहा है।
ये बोहत ही गंभीर हालात है इससे हालात ज्यादा बिगड़ेंगे सुधरेंगे नहीं।
सबसे हैरान करने वाली बात ये है की वर्तमान में जो लोग सरकार चला रहे है। वो इस मुद्दे पे कुछ बोल नहीं रहे लोगों से अपील  भी नहीं कर रहे है की आप लोग शांति बनाये रखे हम इस मुद्दे को देख रहे है।
 एक तरफ आप को कश्मीर चाहिए और दूसरी तरफ आप वहा  शांति व्यवस्था बनाने में नाकामयाब है ।और अब तो हालात बाद से बदतर होते जा रहे है
सरकार क्या कर रही है कुछ समझ नहीं आ रहा है।
यहाँ सब अपनी अपनी रोटीया सेंकने में लगे हुए है।  सरकार को चाहिए की पडोसी देश से बात करे उसके क्या मुद्दे है उसको क्या चाहिए एक न एक दिन ये मुद्दा सुलझाना ही पड़ेगा। आमने सामने बैठ कर के हर चीज पे बात करनी चाहिए जिससे दोनों मुल्को में अमन कायम हो सके जनता चैन और सुकून से रह सके ।

Sunday, February 17, 2019

धर्म और आतंकवाद

देश में धर्म को लेकर जो खेल चल रहा है, उससे सब भली भांति वाकिफ है।
मुस्लमान है तो जरुर उसे आतंकवादी समझा जायेगा फिर वो उसकी सचाई कुछ भी हो।
ये जो आतंकवादी हमले हो रहे ये भी एक तरह से इसी तरह की घृणा का फायदा उठा के किये जा रहे हे।
कही न कही मुस्लिम युवको में रोष है की हम कुछ करे या न करे नाम हमारा ही होगा।
हमें इस चीज  को बदलना होगा , मुसलमानो का जो सम्मान और आत्मविस्वाश है वो उन्हें लौटाना होगा।
अगर हिंदुस्तान जैसे देश में इस तरह की विसंगततियाँ होंगी तो जिम्मेदार हिंदुस्तान ही होगा
हिन्दोस्तान अपनी विविधता में एकता के लिए जाना  जाता है।
सब धर्मों  के लोगो को बराबरी का अधिकार होना ही चाहिए।
यह हम एक पशु को किसी इंशानी जिंदगी से बड़ा बना देते है।
उसकी पीट पीट कर के हत्या कर देते है।
ये इंसानियत  लोगो में कब आएगी की वो एक इन्सान  की जिंदगी की कदर कर सके।
जिस दिन ये इंसानियत आ गई बोहत झगड़े फसाद, आतंकवाद ख़तम हो जायेंगे ।

Friday, February 8, 2019

जनतंत्र ओर जनसंचार

आज देश में लोकतंत्र को लेके जो माहोल बना हुआ है उसका जिम्मेदार कौन है।
वो जनता जो अपने प्रतिनिधि का सही आकलन नही कर पाती। या जनता द्वारा चुने गये  वो प्रतिनिधि जो चुनाव से पूर्व किये गये वादे पूरा करने मे नाकाम रहते है।
या जिम्मेदार हें जनसंचार के वो माध्यम (मीडिया) जो रातोंरात किसी एरे गैरे नत्थूखैरे को राजनीति के आसमान का सितारा बना देते हैं। कुछ साल पहले कुछ लोग राजनीति मे आऐ भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए । सत्ता मे आने के बाद खुद उनहोंने भ्रष्टाचार करने के नये किर्तीमान स्थापित किए। बहुत से लोगो ने करोङो  की विदेशी नोकरी छोङ कर इस राजनीतिक दल के साथ जुड गए।
जनसंचार के माध्यम अभी बहोत से नए राजनितिक चेहरों का निर्माण करने मे जुटे हुए है। वो चेहरे है आरक्षण आंदोलनों ओर विश्वविधालयो मे बयानबाजी करने वाले युवा नेता जो सता मे आने के पहले जनहित की बात करते है फिर अपना हित निकालते है।
सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से जनता भी इनको नायक बना देती है।
देखते देखते ये लोगो के दिलो दिमाग पर छा जाते हे। फिर राजनीति के गलियारे से होते हुये लोग सता मे आ जाते है। राजनीति अभी बहुत अच्छा विकल्प माना जाता है। खासकर अभिनय जगत से जुडे हुए लोगो के लिए।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण स्मृति इरानी है।
हाल ही मे दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित अभिनेता कमल हासन ने राजनीति मे प्रवेश किया है। रजनीकांत ने भी अपना मन बना रखा है।
लोग इनसे बदलाव की उम्मीद कर रहे है।
लेकिन जनता को अब इस कदर धोखा खाने की आदत हो गई है की अब उनको धोखा अच्छा लगने लगा है।
जनसंचार के माध्यम भी अभी जनता के हित में काम नही कर रहे है। सब किसी ना किसी के पक्ष मे है। सिनेमा ने भी अब पक्षपात वाला रवैया अपना लिया है। हाल ही मे रिलीज हुई कुछ फिल्मे इसका ताजा उदाहरण है। अब जिसकी लाठी उसकी भैंस।

मेंटल ही है

कंगना रानोत की आगामी फिल्म 'जजमेंटल है क्या' के काफी चर्चे है। हिंदी फिल्म  'गैंगस्टर' सें अपने अभिनय की शुरूआत करने वाली इस...

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