महिलाऐं, जिस तरह एक माॅ, बहन, बीवी ओर बेटी के रुप में सबपे अपना स्नेह लुटाती है। उसको सिर्फ चंद अलफाज में बयां करना नामुमकिन है। फिर भी मै कोशिश करूंगा। जितनी भी महिलाओं से में अब तक मिला हुॅ , या जिनको जानता हूँ, वो मुझसे बङे ही प्यार सें पेश आते है। मैंने अपनी माॅॅ को एक दशक सें नही देखा, तेरह साल पहले वो इस दुनिया से चली गई थी, लेकिन जब तक मै जिंदा हू उनकी यादे मेरे जेहन सें धुंधली नही हो सकती।
हालांकि मेरे घर ओर परिवार मे ओर भी महिलाऐ है, जिनसे खूब स्नेह मिला, दो भाभी हैं, उनकी दो बेटियां हैं, जो मुझे बेहद अजीज हैै।जिंदगी मे कुछ ओर भी महिलाओ सें नि:स्वार्थ स्नेह मिला। इन सभी महिलाओ के प्रति मे हमेशा कर्जदार रहूंगा।
ऑश्चर्य होता है ओरत के दामन मे इतना प्यार आता कहां से है। शायद उपरवाले ने ओरत के दामन को महासागर (समुद्र) से ज्यादा प्यार अपने अंदर वहन करने की ताकत दी है।
एक ओरत ही ऐसा कर सकती है।
सबको अन्तर्राष्ट्रिय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
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