समाचार चैनल (ब्राडकास्ट मिडियम) की सबसे बङी मजबूरी ये हो गई है कि साधारण समाचार सुनने ओर देखने मे लोगो की दिलचस्पी नही रही।
आजकल हर अखबार ओर चैनल सनसनी की तलाश मे रहता है। बदकिस्मती सें अगर कोई वाकया हो गया तो बस बन गया काम।अखबारो ओर चैनलो के साथ जनता का वक्त भी अच्छा बीत जाता है। सनसनी खत्म तो पङोसी भी पुछ लेता है, इतना सन्नाटा क्यों है भाई।
सब तमाशबीन है, किसी भी घटना या वाकये को उत्सव की तरह लेते है । जब उत्साह खत्म तो डब्बा गुल।
कभी सनसनी मिल जाती है तो कभी सनसनी बनानी पङती है।कभी राफेल को उठाया जाता है, तो कभी राफेल के कागजात।
हमारे एक युवा नेता तो रोज एक नई सनसनी ले आते है, ये आजकल इतनी खबरे बना रहे हे की समाचार एजेंसिया भी इनके सामने कुछ नही। नेता तो नेता अब तो अभिनेता भी पैसे लेकर खबरे बना रहे है। जनता को अब इस मसाले की आदत इस कदर हो गई है कि जब तक वो कोई डिबेट शो नही देख लेते, जिसमे ऐंकर ओर मेहमान एक दुसरे को गालिया दे रहे हो, खाना नही पचता। अगर ये पत्रकारिता है तो , फिर पत्रकारिता क्या है ?
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Monday, March 11, 2019
सनसनी ओर सन्नाटा
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