हद होती है हर चीज की पर लगता हे राजनीती मे किसी चीज की कोई हद नही होती ।
अभी राहुल गाधी ने आगामी चुनावो के लिये विजय मिशन की शुरूआत कर दी है, और अच्छे भाषण भी झाङ रहे है। ओर विचित्र बात यह है कि लोग उन्हे सुन भी रहे हे। पर बेचारी मजबूर जनता कभी मोदी पे भरोसा करती है तो कभी राहुल पे। तो कभी कुछ नये भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों से उपजे नेता आ जाते है ।
राजनीति मे जो पुराने चावल है उनकी तो ओर बात है। पर राजनीती मे कुछ लोगो ने नोसिखिया होकर भी जिस तरह बेइमानी ओर बेशर्मी के नऐ किर्तीमान स्थापित किऐ है वास्तव मे उनको बहुत बङा ईनाम दिया जाना चाहिये।
चुनाव जीतने के लिए ये कुछ भी भाषणबाजी करेंगे, एक दूसरे को नीचा दिखायेंगे, कुछ भी करने मे इनको कोई शर्म महसूस नही होगी ।
शायद राजनीति मे आने के पहली शर्त होती होगी की आपका बेशर्म हो ना जरूरी है । अगर आप मे थोड़ी सी भी कहीं शर्म हे तो आप राजनीति मे पांव नही रखेंगे।पहले राजा महाराजा देश को लूट रहे थे फिर अंग्रेजो ने ओर अब ये हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधी । ये लूट ऐसे ही जारी रहेगी जब तक हम आंखे मूंद कर इनपर भरोसा करते रहेंगे। हमें लोकतंत्र के असली मायने ओर लोकतंत्र की असली शक्ति को समझना होगा तभी यह लूट रूक सकती है।
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